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#OpenPoetry हवस के इस दौर में बोलो.. आख़िर क्यों

#OpenPoetry
 हवस के इस दौर में बोलो.. आख़िर क्यों ज़िंदा है हम...
 जिस्मों की मेल को इश्क़ कहते है सब ..दिल तो है बस बेदम...
गुज़र गया वो ज़माना ए ज़िंदादिल जब दिल की बातें सच होती थी..
अब तो इश्क़ पाक है बस उनका ...जिनके किस्मत में है बस जुदाई का गम .. पाक इश्क़
#OpenPoetry
 हवस के इस दौर में बोलो.. आख़िर क्यों ज़िंदा है हम...
 जिस्मों की मेल को इश्क़ कहते है सब ..दिल तो है बस बेदम...
गुज़र गया वो ज़माना ए ज़िंदादिल जब दिल की बातें सच होती थी..
अब तो इश्क़ पाक है बस उनका ...जिनके किस्मत में है बस जुदाई का गम .. पाक इश्क़