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हुक्मरान हैं कुछ लोग जो, दुनिया जहाँ की बातें करते

हुक्मरान हैं कुछ लोग जो, दुनिया जहाँ की बातें करते हैं, 
कभी बेफिज़ूल की, तो कभी यहाँ वहाँ की बातें करते हैं, 
जिन्हें बैठाया था तख्तों ताज पर, देश की आवाम ने कभी, 
मौकापरस्त वो आज बस, हिंदू मुसलमां की बातें करते हैं!!

साथ मेरे कल तक थे वो, आज खामखां की बातें करते हैं, 
कभी चांद तारों की, कभी जमीं आसमां की बातें करते हैं, 
जिन्हें बख्शी थी इतनी आबरू, मेरे देश हिदुस्तां ने कभी, 
वो काफिर लोग अब, मुल्क-ऐं-पाकिस्तां की बातें करते हैं!! 

कभी फिरते थे दरबदर, आज अपने मकां की बातें करते हैं, 
कभी शान-ओ-शौकत की, कभी वो मुकां की बातें करते हैं, 
नवाजा़ है उपर वाले ने जबसे, कुछ नक्कारों को दौलत से, 
वो बेगैरत तब से बस, अपने उस रहनुमां की बातें करते हैं!!

मैं जानता हूँ कुछ लोग अब भी गुलिस्ताँ की बातें करते हैं, 
खिलते हुए चमन की, महकते हिन्दुस्तां की बाते करते हैं, 
वो फरिश्ते अब भी करते हैं बसेरा, मेरे मुल्क की धरती पर, 
जो इंसानियत की मिसाल है और इन्सां की बातें करते हैं!!

© अनकहे अल्फाज़ ! सीमांत





 #yqpeople #yqdidi #yqquotes 
#qythoughts 
#अनकहेअल्फ़ाज़
हुक्मरान हैं कुछ लोग जो, दुनिया जहाँ की बातें करते हैं, 
कभी बेफिज़ूल की, तो कभी यहाँ वहाँ की बातें करते हैं, 
जिन्हें बैठाया था तख्तों ताज पर, देश की आवाम ने कभी, 
मौकापरस्त वो आज बस, हिंदू मुसलमां की बातें करते हैं!!

साथ मेरे कल तक थे वो, आज खामखां की बातें करते हैं, 
कभी चांद तारों की, कभी जमीं आसमां की बातें करते हैं, 
जिन्हें बख्शी थी इतनी आबरू, मेरे देश हिदुस्तां ने कभी, 
वो काफिर लोग अब, मुल्क-ऐं-पाकिस्तां की बातें करते हैं!! 

कभी फिरते थे दरबदर, आज अपने मकां की बातें करते हैं, 
कभी शान-ओ-शौकत की, कभी वो मुकां की बातें करते हैं, 
नवाजा़ है उपर वाले ने जबसे, कुछ नक्कारों को दौलत से, 
वो बेगैरत तब से बस, अपने उस रहनुमां की बातें करते हैं!!

मैं जानता हूँ कुछ लोग अब भी गुलिस्ताँ की बातें करते हैं, 
खिलते हुए चमन की, महकते हिन्दुस्तां की बाते करते हैं, 
वो फरिश्ते अब भी करते हैं बसेरा, मेरे मुल्क की धरती पर, 
जो इंसानियत की मिसाल है और इन्सां की बातें करते हैं!!

© अनकहे अल्फाज़ ! सीमांत





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