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शाम हुयी,फिर सुरज ढ़ला सुरज के ढ़लते हीं शमां जली,

शाम हुयी,फिर सुरज ढ़ला
सुरज के ढ़लते हीं शमां जली,
शमां के जलते हीं-परवाना जला।
किसी काे भुख की आग लगी,
किसी में याैवन का उंन्माद जगा।
कहीं साज सजे ताे कहीं मेहफिल भी सजी,
कहीं इतनी बत्तियां जलीं
के रात में हीं दिन का भ्रम हुआं।
कहीं जाम से जाम टकरायें
ताे कहीं गमकती जवानी अदा से लहरायें।
कहीं चाेरी हुयीं -कहीं डाका भी पड़ा,
पर अचानक अंधेंरे मे इक आवाज आयीं,
हाय!मेरे घर आज की रात भी चुल्हां न जला।  काश के खुशिंयाें पर सबका हक हाेता।
#yuqote#yqdada#yqbaba#yqdidi#yqhindi#yqtable#yq
शाम हुयी,फिर सुरज ढ़ला
सुरज के ढ़लते हीं शमां जली,
शमां के जलते हीं-परवाना जला।
किसी काे भुख की आग लगी,
किसी में याैवन का उंन्माद जगा।
कहीं साज सजे ताे कहीं मेहफिल भी सजी,
कहीं इतनी बत्तियां जलीं
के रात में हीं दिन का भ्रम हुआं।
कहीं जाम से जाम टकरायें
ताे कहीं गमकती जवानी अदा से लहरायें।
कहीं चाेरी हुयीं -कहीं डाका भी पड़ा,
पर अचानक अंधेंरे मे इक आवाज आयीं,
हाय!मेरे घर आज की रात भी चुल्हां न जला।  काश के खुशिंयाें पर सबका हक हाेता।
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mamtasingh9974

Mamta Singh

Bronze Star
New Creator