फिर भी आँखे खुली हुई हमारी है; जिंदगी कविताओं में दिख रही, उंगलिया अभी भी कुछ न कुछ लिख रही; वर्तमान हालात नहीं,उम्मीदें है ज़्यादा खरी, आँखे नींद से नहीं, सपनों से है भरी। सोने की तैयारी है एक कवि सोते-सोते भी कविता ही लिख रहा होता है। सोने की हर किसी की तैयारी अनोखी होती है। लिखें अपने क़िस्से। #सोनेकीतैयारीहै #challenge #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi