हरियाणा में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशोक खेमका ने पंजाब सरकार की प्रशंसा करते हुए उन प्रदेशों के विधानमंडल और संसद से भी एक जनप्रतिनिधि को एक पेंशन के नियम का अनुसरण करने का अनुरोध किया है यदि हरियाणा सरकार ऐसा करती है तो अभी नंदनी यही होगा विचारणीय है कि जो विधायक और सांसदों को परेशान की व्यवस्था रखी गई थी तो उस समय की आवश्यकता थी जब जनप्रतिनिधि धन्यवाद चुनाव नहीं जीते थे उनके पीछे जन्म होता था इसीलिए वह नैतिक बल में वोट गोत्र होते थे सामान्य परिवारों से आते थे उनके सामाजिक कार्य के कारण उन्हें स्वीकृति मिलती थी उसका उनका दल और चुनाव लड़ने की व्यवस्था करता था विधायक या संसद के रहते हुए भी कभी धनंजय के बारे में सोचा नहीं था कांग्रेस की गुलजारीलाल नंद और भारतीय जनसंघ के स्वामी रामेश्वर नंद स्वामी रामेश्वरानंद संत से उन्होंने संसद रहने के समय भी कोई सुविधा नहीं मिली संसद पैदल आते जाते थे आर्य समाज मंदिर में रहते थे गुलजार लाल नंद कार्यवाही प्रधानमंत्री रहे वे जीवन के अंतिम वर्ष में एक मकान के कमरे में किराए पर रहे और एक बार फिर समय में किराया नहीं दे सकते तो मकान कि स्वामी ने उनका सामान कमरे से बाहर फेंक दिया किसी पूर्व संसदीय पूर्व विधायक के सामने जीवन यापन की समस्या ना आए और वह समाज में सम्मानित जीवन जी सके पेंशन की व्यवस्था इसलिए की गई लेकिन बाद में इस व्यवस्था का दुरुपयोग होने लगा और विधायक सांसद एकमत से अपनी प्रगति करते रहे ©Ek villain #प्रशन नैतिकता का है #Hope