इक शहर गुमनाम है तुम बीन ,खता है क्या बता देना, ये रंजिशे ये उल्फतें इन खयालातों बीन सफ़र करा देना।। अभी-अभी समंदर में लहरें उठना शुरू हुआ है , कभी डूबा इस दरिया में तो मुझे किनारे लगा देना।। आंखे बस थोड़ी नम सी रहती है अब ना जाने क्यूं, गर देख ना पाऊं उसे तो ,उसकी तस्वीर हटा देना। इंतेज़ार की आश अब टूटती जा रही है मेरी, गर आए कभी मेरे कब्र पर तो मेरी शिरत बता देना।। मैं कल भी मिट्टी था आज मिट्टी से सिर्फ लिपट गया हूं, मगर कुछ तालिब की आंखो से पर्दे तुम हटा देना।। कुछ मलाल हो जहन में तो अफ़सोस ना करे वो, जिस्म मिट्टी में मिला है रूह की ताकत बता देना।। ~आशुतोष दुबे #इक गुमनाम शहर है.. silence of the sea D Patel Iflah mujahid बेनाम शायर Palvi Chalana Nehu❤