जब वो घर से निकलतीं थी, तो अपने थैले में दो साड़ियां रखती थी। रास्ते भर लोग उन पर कीचड़ फेंकते, भद्दी गालियां देते, समाज विरोधी और धर्म विरोधी बोलते। लेकिन वो चुपचाप अपने रास्ते पर चलती क्योंकि उनको पता था उन्होंने साड़ी के पल्लू का परचम बना दिया है, इस तरह रोज अपने स्कूल पहुंचती और उसका दरवाजा खोलकर अपने विद्यार्थियों की प्रतीक्षा करतीं, विद्यार्थी भी खास थे, उनमें से भी ज्यादातर कीचड़ में सने हुए होते थे। अब इस महिला और इस स्कूल में ऐसा क्या था जो समाज रोज ऐसी सजा दे रहा था, यहां तक की समाज में कथित उच्च वर्ग के लोग भी इन्हें घृणित मानते थे। चलो अब बता देते हैं, इस महिला का क्या दोष था तो पाप ये था , इस महिला ने भारत की 'मर्दव्यवस्था' को चुनौती देते हुए पहला स्कूल खोला जिसमें महिलाएं पढ़ सकतीं थीं। हम बात कर रहे हैं सावित्री बाई फुले की जिन्होंने सन् 1848 में महिलाओं के लिए पहला स्कूल महाराष्ट्र के पुणे जिले के भिड़े वाडा में खोला था। आज उनका जन्मदिन है सोचा उनके इस कालजयी कदम के बारे में सबको बता दूं। -प्रिन्स वर्मा #Great_Indian_story #Savitri_bai_Fule great Indian Story Savitri Bai Fule.