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अंतिम सफ़र ना भूल ये दीन धरम और #फज़र की बातें। बहु

अंतिम सफ़र

ना भूल ये दीन धरम और #फज़र की बातें।
बहुत बरक्कत देतीं हैं हमें #जौहर की बातें।

राहे वफ़ा है रास्ता ख़ुदा की नेमत का रास्ता,
कौन सोचे क्या है  #अंतिम  सफ़र की बातें।

कौन भला कौन बुरा कौन दोस्त कौन दुश्मन,
कब होती हैं किसी पत्थर पर #असर की बातें।

सुबह के भूले थे# मग़रिब तक घर लौट आये,
उधर ही छोड़कर आए  कोर कसर की बातें।

आया जो वक़्त# ईशा  की नमाज़ का"आदित्य"
दिन भर याद करते रहा मैं ज़ेरो ज़बर की बातें।
***********************************

(इस ग़ज़ल में पाँच वक़्त की नमाज़--
फज़र,जौहर,असर,मग़रिब,और ईशा का उल्लेख है)
अंतिम सफ़र

ना भूल ये दीन धरम और #फज़र की बातें।
बहुत बरक्कत देतीं हैं हमें #जौहर की बातें।

राहे वफ़ा है रास्ता ख़ुदा की नेमत का रास्ता,
कौन सोचे क्या है  #अंतिम  सफ़र की बातें।

कौन भला कौन बुरा कौन दोस्त कौन दुश्मन,
कब होती हैं किसी पत्थर पर #असर की बातें।

सुबह के भूले थे# मग़रिब तक घर लौट आये,
उधर ही छोड़कर आए  कोर कसर की बातें।

आया जो वक़्त# ईशा  की नमाज़ का"आदित्य"
दिन भर याद करते रहा मैं ज़ेरो ज़बर की बातें।
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(इस ग़ज़ल में पाँच वक़्त की नमाज़--
फज़र,जौहर,असर,मग़रिब,और ईशा का उल्लेख है)
adityagupta2091

Aditya Gupta

New Creator