अंतिम सफ़र ना भूल ये दीन धरम और #फज़र की बातें। बहुत बरक्कत देतीं हैं हमें #जौहर की बातें। राहे वफ़ा है रास्ता ख़ुदा की नेमत का रास्ता, कौन सोचे क्या है #अंतिम सफ़र की बातें। कौन भला कौन बुरा कौन दोस्त कौन दुश्मन, कब होती हैं किसी पत्थर पर #असर की बातें। सुबह के भूले थे# मग़रिब तक घर लौट आये, उधर ही छोड़कर आए कोर कसर की बातें। आया जो वक़्त# ईशा की नमाज़ का"आदित्य" दिन भर याद करते रहा मैं ज़ेरो ज़बर की बातें। *********************************** (इस ग़ज़ल में पाँच वक़्त की नमाज़-- फज़र,जौहर,असर,मग़रिब,और ईशा का उल्लेख है)