मेरे भी ख्वाब थे एक अच्छी स्कूल में पढ़ाई करने के , पढ़ लिख कर अपने गाँव की मदद करने के, कुछ बन के आगे बढ़ने की चाह थी मेरी भी लेकिन साहब ये ग़रीबी किस की सग्गी है, बचपन मे ही काम और कमाई के बोझ ने स्कूल के बस्ते की जगह लेली ओर बची हुई कसर ऊँच नीच के दायरे ले लेली।। __प्रियंका रुक्मण राठौड़ #antichildlabourday #priyankarukmanqoute #priyankarukmanrathore #rukmanwords #Motivation #qoute #hindiqoute