एे चॉद! तेरे रूप में खो गया हमारा चंद्रयान । कैसे रह पाता, तेरी रूपहली रज में, तू है अनछुई, छुई-मुई सी, जैसे इक वरदान।। हमारा था ये अथक प्रयास, और इससे बाज न आएंगे हम। ये ना समझ, अपने रूप से हमेशा ,बहला देगी हमको, हम जो ठान लें, तो चीर कर रख दें तम को। ऐ चॉद! गुरूर ना कर अभी बाकी है जुनून । ले ले बस कुछ पल का सुकून । आ रहा है वक्त मेरा, तुझपर होगा बसेरा। रात आज यहीं पर, कल तुझमें होगा सवेरा। तेरी गलियॉ ना रहेंगी सुनसान, बस कुछ पल देर और सही, पर ना रह पाएगी तू अनजान। एे चॉद! तेरे रूप में खो गया हमारा चंद्रयान ।। चॉद पर चंद्रयान