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"उलझन" दुविधा बढ़ती रहती हैं, खाली दिमाग में। उस

"उलझन"

दुविधा बढ़ती रहती हैं,
खाली दिमाग में।

उसको भरा रखो हमेशा,
बाहरी ज्ञान से।

अनिश्चय बढ़ती रहती है,
मायूसी आलस के वास से।

मुस्कान चेहरे पर रखो सदा,
संघर्षों में, आराम से।

हर्षाते रहो तुम सदा,
दुःख हो या सुख के वाद में।

उलझाव का विस्तार होता,
अधूरी सोच विचार से।

मै भी उलझा हुआ था एक दिन,
अपने ही मलाल में।

वो सुलझ भी गई उलझन,
अपनों की साज में।

कई छोटी तो बड़ी दुविधाए,
आती हैं साथ में।

 जब लेना हो फैसला,
प्रेशर के ताज में।

उलझने बढ़ती रहती हैं,
शैतानी वास में।

उलझने बढ़ती रहती हैं,
खाली दिमाग में।

@charpota_natwar_

©Navin #उलझन  #deedarealfaz  #pustakratna 
#Hopeless
"उलझन"

दुविधा बढ़ती रहती हैं,
खाली दिमाग में।

उसको भरा रखो हमेशा,
बाहरी ज्ञान से।

अनिश्चय बढ़ती रहती है,
मायूसी आलस के वास से।

मुस्कान चेहरे पर रखो सदा,
संघर्षों में, आराम से।

हर्षाते रहो तुम सदा,
दुःख हो या सुख के वाद में।

उलझाव का विस्तार होता,
अधूरी सोच विचार से।

मै भी उलझा हुआ था एक दिन,
अपने ही मलाल में।

वो सुलझ भी गई उलझन,
अपनों की साज में।

कई छोटी तो बड़ी दुविधाए,
आती हैं साथ में।

 जब लेना हो फैसला,
प्रेशर के ताज में।

उलझने बढ़ती रहती हैं,
शैतानी वास में।

उलझने बढ़ती रहती हैं,
खाली दिमाग में।

@charpota_natwar_

©Navin #उलझन  #deedarealfaz  #pustakratna 
#Hopeless
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