राजनीति के मोहरा बना के लाये तुम पुलमावां को, राजगद्दी को तरसते देखा तेरे भीष्म पितामह को ! और संस्कार की पाठ पढ़ाने चले हैं वो सब जनता को, अरे उनसे पूछो शादी के बाद आज भी अलग क्यूं पत्नी है.. मैं लिख रहा हुं उसको जिसको लिखने पर पाबंदी है, :- संतोष 'साग़र' #निरंकुश