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वो कॉफी cappuccino और हम टपरी की चाय थे, उस रोज़ उ

 वो कॉफी cappuccino और हम टपरी की चाय थे,
उस रोज़ उन्हें देख कर मसर्रत से मुस्काए थे!

सूट-बूट और जेल-वेल, वो बने ठने से रहते थे,
बिखरी जुल्फें, सस्ती खुशबू में हम सने सने से रहते थे!

रंग रूप उनका जैसे फुल क्रीम में उन्हें डुबाया हो,
और हम लगते थे जैसे भूरी मलाई की पड़ गई छाया हो!
 वो कॉफी cappuccino और हम टपरी की चाय थे,
उस रोज़ उन्हें देख कर मसर्रत से मुस्काए थे!

सूट-बूट और जेल-वेल, वो बने ठने से रहते थे,
बिखरी जुल्फें, सस्ती खुशबू में हम सने सने से रहते थे!

रंग रूप उनका जैसे फुल क्रीम में उन्हें डुबाया हो,
और हम लगते थे जैसे भूरी मलाई की पड़ गई छाया हो!
vishakha2733

Vishakha

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