बनाया था ऐ खुदा तूने घर एक प्यारा सा, बनाये थे सिद्दत से अपने हाथों से तूने बसने के लिए उसमे इंसान, बांटकर, काटकर, छाँटकर हमने उजाड़ दिया तेरा वो आशियाँ, लड़कर, झगड़कर, तोड़ मड़ोड़कर बिध्वंश कर दिया तेरा ये जहाँ, प्यार-मुहब्बत से सींचे हुए तेरे ज़मीन पर "नफरत के ऊँचे दीवार" खड़ी करदी है हम इंसानोने, तेरा प्रतीक माने जाने बच्चों तक को नहीं बक्शा है हम नापाक इंसानोने, गोली बारूदों के निर्मम प्रहारोंसे छलनी कर दिया है इंसानियत का छाती, हे बौद्ध,अल्लाह,ईसा व नानक; देखो यहाँ:कहीं गुम है शान्ति, इंसान इंसान को मारने पे उतारू, चारों और बस दंगे हाहाकार, बैठा है तू क्यों मूक-दर्शक बने आखिर क्यों तू यूँ बेबश-लाचार? हो रहे कत्ल सरेआम तेरे नाम पर क्यों है बैठा फिरभी चुपचाप ऐ मेरे खुदा ये सब जानकार? कुछ बोल तो सही,कुछ कर तो सही, अपने खोखले शक्तियों पर ना गुमान कर, भुला देंगे तेरे चाहनेवाले तुझे; यूँ खुदा होने पर ना तू अभिमान कर अपने खुदा होने का ना तू अभिमान कर!! बनाया था ऐ खुदा तूने घर एक प्यारा सा, बनाये थे सिद्दत से अपने हाथों से तूने बसने के लिए उसमे इंसान, बांटकर, काटकर, छाँटकर हमने उजाड़ दिया तेरा वो आशियाँ, लड़कर, झगड़कर, तोड़ मड़ोड़कर