बचपन और माँ भरे पड़े हैं अलमारियों में,अब तक वो खिलौनें। जो " बचपन" में मुझे,मेरी "माँ" नें दिलाये थे।। गुब्बारों से सजा था आँगन,मिठाइयों की भरमार थी। मेरे "जन्मदिन" पे कई "चाँद", "माँ" नें दावत पे बुलाये थे। दौड़ा-दौड़ा फिर रहा था,मैं मस्ती में हर तरफ। खुशी का ठिकाना ना था पहनकर,नये कपड़े जो "पापा "लाये थे। अब तक वायुमण्डल में गूँजते हैं वो गीत। जो मेरे जन्मदिन पे,मेरी "माँ" नें गाये थे।। मैं "राजकुमार" लग रहा था मानों उस दिन। मेरी नजर उतारकर,अपनें पल्लू से चंद नोट "माँ" नें उड़ाये थे।। बहुत याद आता है "बचपन" का वो हर दिन। जिस दिन "दोस्तों" संग ढोलक की थाप पे,हमनें अपनें नन्हें कदम थिरकाये थे।। LOVE U MAA.....🙏💓😘💓🙏 ©Viswa Sachan #BachpanAurMaa