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।।श्री हरिः।। 32 - क्या किया जाय? सबका उपाय है, क

।।श्री हरिः।।
32 - क्या किया जाय?

सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के
साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है।

सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता है। इसके कमलमुख पर शीघ्र स्वेद झलमलाऩे लगता है। लेकिन इसे खेल में लगने पर अपने शरीर का ध्यान ही नहीं रहता। तब भद्र, विशाल, तोक, वरूथप किसीको तो इसे रोकना पड़ेगा। कोई तो इसे विवश करेगा ही कि अब यह विश्राम करे। मुख पर स्वेद-कण आ गये, पूरा मुख लाल हो गया, कोमल चरण भी लाल हो चुके, अब इतने लक्षण क्या यह जानने को पर्याप्त नहीं हैं कि यह थक गया है?
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

।।श्री हरिः।। 32 - क्या किया जाय? सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है। सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता है। इसके कमलमुख पर शीघ्र स्वेद झलमलाऩे लगता है। लेकिन इसे खेल में लगने पर अपने शरीर का ध्यान ही नहीं रहता। तब भद्र, विशाल, तोक, वरूथप किसीको तो इसे रोकना पड़ेगा। कोई तो इसे विवश करेगा ही कि अब यह विश्राम करे। मुख पर स्वेद-कण आ गये, पूरा मुख लाल हो गया, कोमल चरण भी लाल हो चुके, अब इतने लक्षण क्या यह जानने को पर्याप्त नहीं हैं कि यह थक गया है?

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