क्यों ? अमीरों को बुरा समझते हैं। उनके अमीर होने पर ताने कसते हैं। ग़रीबी से मेरी बरसों पुरानी पहचान है। हमने संग -संग बरसों गुजारे हैं , हमने भी ,बुरे दिन काटे हैं ,  रिश्तों के रहे ,हमेशा घाटे हैं। बड़ी मशक्क़त से मैंने घर को संवारा है । ग़रीबी से मैंने ,अपने को उभारा को है । आज दो पैसे...... क्या कमाने लगा ? लोगों के आँखों की' किरकिरी 'हो गया। कहते हैं ,''लाट साहब ''हो गया। ©Laxmi Tyagi #laat sahab #cloud