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ज़हन को दिल से तू अपने ज़रा जुदा रखना बिछड़ के मुझ

ज़हन को दिल से तू अपने ज़रा जुदा रखना
बिछड़ के मुझसे तू जीने का हौसला रखना

में खुशबुओं का बोहत एहतराम करता हूं,
मुझे क़रीब बुलाके भी फ़ासला रखना

में छोड़ आया हूं साहिल पे जलती कश्ती को
गुजिश्ता लम्हों से तुम भी ना राब्ता रखना

ज़हर की तरहां से होती है याद माज़ी की
तू मुख्तसीर मेरी यादों का काफिला रखना

में भूला सुबह का लोटूंगा शाम से पहले
खुला हुआ मेरे आने का रास्ता रखना

अजब तरहां की ये ज़िद है....वो मुझसे कहते हैं
मेरे क़रीब न आना.... ना फ़।सला रखना

में डूबने से ज़रा क़ब्ल देखूंगा तुझको
किनारे दरिया के ख़ुद को तू बस खड़ा रखना

किसी का हो भी गया वो जो तेरा था कौसर,
ज़रा संभाल के अपना ये तजरुबा रखना

©Kausar Raza
  #ghazaliat
kausarraza5001

Kausar Raza

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