लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... सब कुछ लुटा देते हैं दिल में शय नहीं पाते... "मुखौटो" से रखते मोह, सच्ची आत्मा से बैर... झूठी धुनों पर झूमते कोई लय नहीं पाते... लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... लेकिन कहो तुमको भी ये धंधा- भला कब तक..? चलो आजमाए ये जहां अंधा भला कब तक..? कब तक छुपेगी चांद की आभा अमावस में..? दम को सधाये रखे ये फंदा भला कब तक? सब कुछ सुने पर आत्मा की कह नहीं पाते... लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... आता नहीं पछताप भी किंचित अकेले में.. या भूल बैठे है ये जीवन के झमेले में... छुपा है जो सबसे वो खुद से छुप नहीं पाता एक आचरण को छोड़ कुछ भी संग नहीं जाता.. पाखण्ड से होकर जयी ,जय- जय नहीं पाते लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... झूठी धुनों पर झूमते कोई लय नहीं पाते...!! लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते..!! #NojotoQuote लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते... सब कुछ लुटा देते हैं दिल में शय नहीं पाते... "मुखौटो" से रखते मोह, सच्ची आत्मा से बैर... झूठी धुनों पर झूमते कोई लय नहीं पाते... लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते...