#OpenPoetry हवन की समिधा ! तुम्हारे प्रेम क्षुधा से व्याकुल मेरा हृदय तृप्ति की चाह सिर्फ एक तुम से रखता है ; मेरे मन में जबसे तुम हुई हो शामिल ये दिल जिद्द पर अड़ा है बनने को तुम्हारे हवन कुंड की समिधा है ; जो हर एक आहुति के साथ धधक कर पूर्ण होना चाहता है सुनते ही स्वाहा ; ताकि तुझमे मिलकर प्रेम की समिधा सा वो हो जाए पूर्ण और मेरे मन की व्याकुल क्षुधा को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ चीर शांति मिले ! ##हवन #की #समिधा