गर तारा न टूटता जमीं के लिए तो आसमां में कई और सितारे होते हुई न होती उन्हें चाहत किसी और की तो खुदा कसम आज वो हमारे होते सुना है समंदर का कोई किनारा नहीं होता डुबते हुए सूरज का कोई सहारा नहीं होता शायद जमाने की सारी कमियां मुझमें ही हैं तभी तो न हम किसी के और कोई हमारा नहीं होता गर ख्वाहिश होती उन्हें रिश्ते निभाने की तो मेरे बाग़ में भी खुशियों के नजारे होते हुई न होती उन्हें चाहत किसी और की तो खुदा कसम आज वो हमारे होते #