Unsplash बस यकीन को मिल गया है डूबती उम्मीदों का साथ। ख्वाब कई दिनों से सरहद पे हरताल में है। राजनीति ने बांट दिए भाई इस तरह, भाई भाई से नहीं पूछता। किस हाल में है। पहले भगवान भरोसे थे, अब सरकार भरोसे हैं। गरीब हर हाल, तंग हाल में है। बुढ्ढा लाठी ले कर खेतो का रखवाला है। अफसर बाबू,नेता बेटा। सब अब ससुराल में है। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #leafbook नीर वरुण तिवारी