White दर्द जब बेइंतहां बढ़ जाएगा, अश्क़ पीने का मज़ा आ जाएगा। मुझको रातों के अंधेरे डस गए, ज़हर सारे जिस्म में भर जाएगा। जिसको सींचोगे बदन के खून से, पौधा वो जड़ से जुदा हो जाएगा। छीन कर मेरे सहारे बेवफ़ा, क्या ख़ुशी की नेमतें पा जाएगा? नासमझ तू इस तरह नासमझी में, फ़ासले मुझसे बढ़ाता जाएगा। गलतियों का इल्म होगा जब तलक, वक़्त हाथों से निकल यूँ जाएगा। मैं धुआं बन कर कहीं खो जाऊंगी, हाथ मलता तू खड़ा रह जाएगा। तोड़ कर तूने मुझे है रख दिया, किस तरह मुझको समेटा जाएगा। ’प्रीत' आंधी में जला रख दीप तू, हौसला रख,रास्ता मिल जाएगा। प्रतिष्ठा ’प्रीत’ ©प्रतिष्ठा "प्रीत" #poetry by preet #my_feelings #hindi_poetry poetry in hindi