Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये बेचैनी ये बेक़रारी क्यूँ हैं मुझमे कौन था



ये  बेचैनी ये  बेक़रारी क्यूँ हैं मुझमे
कौन  था पहले, अब नहीं  है मुझमे
हर  तरफ  कहने  को  तो है  सुकून 
एक अजीब सी चुभन क्यूँ है मुझमें 
नहीं दिखता चेहरा उसका आइने में 
आइने   की  चाहत   क्यूँ  है  मुझमे 
पत्थरों का है उसका शहर, सुना था 
उस शहर से रफाकत, क्यूँ  है मुझमे 
दिल की बातों पर कर लेता हूँ यकीन 
दीमाग से अब भी बगावत क्यूँ है मुझमे 
भूलने को जब बैठता हूँ निराला मंज़र 
सांसे अटकती नजर आती क्यूँ हैं मुझमे

©Sanjay Ni_ra_la
  # ये बेचैनी ये बेक़रारी क्यूँ हैं मुझमे

# ये बेचैनी ये बेक़रारी क्यूँ हैं मुझमे #शायरी

246 Views