एहसास था मुझे पहले से इस वक्त के आने का चली मैं उस राह जहां लिखा जा चुका था जिन्दगी भर रोने का ये सोच कर आयी थी तेरी जिन्दगी में कि बदल दुंगी दुनिया तेरी पर जिन्दगी भर अफसोस रहेगा तुझे ना बदल पाने का भरोसा कर के भी न कर पायी भरोसा प्यार करके भी न निभा पायी ये रिश्ता अब तो सिर्फ दुआ ही कर सकती हूं बदल जाये तू कर दे ऐसा काम कोइ फरिश्ता क्योंकि तूझे इस तरह देख पाने की औकात कहां इन आॅखों का