सोचिए तो जरा, लोग कैसे कैसे इम्तिहाँ लिया करते हैं, लाख छुपाएँ ज़ख़्मे ज़िगर, हमदर्दी के नश्तर चलाया करते हैं। हाल ए ज़ख्म भी, कुछ इस तरह पूछा करते हैं हाथ से मरहम, जबां से नमक, छिड़का करते हैं..! बेफ़िक्री में ज़िन्दगी नहीं गुज़ारी जा सकती! #सोचिए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba #realityoflife #feelinghurt