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समर्पण को छोड़ ये जबर्दस्तीयां अच्छी नहीं लगती , द

समर्पण को छोड़ ये जबर्दस्तीयां अच्छी नहीं लगती ,
देश का कोना - कोना भर रहा दरिंदों की दरिंदगी से,
ये हुक़ूमत सुन तेरी नाकामियां अब अच्छी नहीं लगातीं,
दरिंदों से भड़ता जाता ये जहां अच्छी नहीं लगती ,
कफ़न मेँ लिपटी माँ की शहजादीयाँ अच्छी नहीं लगातीं !!

माँ की लाडली क्या अब शहनाई तक भी सुरक्षित नहीं होगी , क्या बच्चों से नामर्दो की मर्दानगी बंद नहीं होगी,
कभी उन्नाव कभी कठुआ अब अलीगढ़ अच्छी नही लगती ,
ये हुकूमत सुन तेरी नाकामियां अब अच्छी नहीं लगती ,
अब तो यही लगता है बेटियां न ले जन्म,
अब दरिंदों के दरिंदगी अच्छी नहीं लगती ,
सौभाग्य से अगर ले बेटियां जन्म तो यु दरिंदों कि दरिंदगी अच्छी नहीं लगती !!

||बलात्कारी को फाँसी हो अलीगढ़ हो या काशी हो||

✍करण साव #समर्पण अच्छी #जबर्दस्तीयां अच्छी नहीं लगती..
समर्पण को छोड़ ये जबर्दस्तीयां अच्छी नहीं लगती ,
देश का कोना - कोना भर रहा दरिंदों की दरिंदगी से,
ये हुक़ूमत सुन तेरी नाकामियां अब अच्छी नहीं लगातीं,
दरिंदों से भड़ता जाता ये जहां अच्छी नहीं लगती ,
कफ़न मेँ लिपटी माँ की शहजादीयाँ अच्छी नहीं लगातीं !!

माँ की लाडली क्या अब शहनाई तक भी सुरक्षित नहीं होगी , क्या बच्चों से नामर्दो की मर्दानगी बंद नहीं होगी,
कभी उन्नाव कभी कठुआ अब अलीगढ़ अच्छी नही लगती ,
ये हुकूमत सुन तेरी नाकामियां अब अच्छी नहीं लगती ,
अब तो यही लगता है बेटियां न ले जन्म,
अब दरिंदों के दरिंदगी अच्छी नहीं लगती ,
सौभाग्य से अगर ले बेटियां जन्म तो यु दरिंदों कि दरिंदगी अच्छी नहीं लगती !!

||बलात्कारी को फाँसी हो अलीगढ़ हो या काशी हो||

✍करण साव #समर्पण अच्छी #जबर्दस्तीयां अच्छी नहीं लगती..