किसी का प्रेम है पब्जी , किसी का प्रेम है सब्जी। किसी का प्रेम है बबिता किसी का प्रेम है सविता। मै ही ऐसा हूँ पागल एक, जिसका प्रेम है कविता। किसी को प्रेम महफ़िल से किसी को दोस्त हैं प्यारे। सुनो तुम तुम्हारी आस मे ही हम अभी तक हैं कुआँरे किसी को प्रेम काजल से किसी को प्रेम बज़्मों से। मुझे है प्रेम गज़लों से , मुझे है प्रेम नज़्मों से ©surya pratap singh किसी का प्रेम है पब्जी , किसी का प्रेम है सब्जी। किसी का प्रेम है बबिता किसी का प्रेम है सविता। मै ही ऐसा हूँ पागल एक, जिसका प्रेम है कविता। #Moon