कल जब उठो तुम तो तलाशना, अपनी हर एक किताब के पन्ने पलट के.... जो अब गुम चुका हैं कहीं मैं तो नहीं था..... वो कौन था जो चला किसी ख्वाब की तरह..... पल भर को जो आया था कहीं मैं तो नहीं था.... जिसके बाग अभी भी गुलजार हैं, आखिर बह रहीं है अबतक किसकी नदियां जो अब वो नहीं है पूछो, कहीं मैं तो नहीं था... ©Tanya Sharma (लम्हा) #Rose कहीं वो मैं तो नहीं था.....