कभी मिलने आता नहीं ये और बात है वो दिल से जाता नहीं ये और बात है मर्ज-ए-इश्क़ छुपता नहीं छुपाने से तुझे नज़र आता नहीं ये और बात है है तो कुछ और ही तेरे दिल में मगर जुबाँ तक आता नहीं ये और बात है रौनक़ मकाँ की उसके होने से है वो कुछ कमाता नहीं ये और बात है पलकें बिछा रख्खी है उसकी राहों में वो आता जाता नहीं ये और बात है हाले दिल बताता है अंदाज-ए-शेर में वो पर्दा उठाता नहीं ये और बात है हमारे लिये तड़प उन आँखों में खूब है वो सच बताता नहीं ये और बात है ©अज्ञात #बात