आँधियों से जूझ के... उंगली पकड़ के जिसकी खड़े हो गये हम, माँ बाप की दुआ से बड़े हो गये हम, हम आँधियों से जूझ के हँसते ही रहे हैं, फौलाद से भी ज्यादा कड़े हो गये हम।