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राब्ता उम्मीदों से रख के आगे बढता रहा हूँ मैं... न

राब्ता उम्मीदों से रख के आगे बढता रहा हूँ मैं...
ना पूछ जिंदगी के हादसों से कैसे लङता रहा हूँ मैं ।

बाद एक जमाने के अब मुफलिसी में भी मुस्कुरा देता हूँ 
ना पूछ कि मुद्दतों अंदर ही अंदर कैसे तङपता रहा हूँ मैं ।

कर्ज बनकर कभी फर्ज बनकर जिंदगी हिस्सों में बंट गयी...
ना पूछ अश्क बनकर हर मोङ पर कैसे बिखरता रहा हूँ मैं ।


हौसला इतना भी नहीं दो लब्ज अपने जुंबा तक ला सकूं
ना पूछ वो फसाने अपनी ही जिंदगी के कैसे पढता रहा हूँ मैं ।

मेरे पांव के चंद जख्मों के लिए अब दवा ढूंढता है तू।
ना पूछ दर्द अपना ही देख देखकर कैसे सिकुड़ता रहा हूँ में ।
ना पूछ जिंदगी के हादसों से कैसे लङता रहा हूँ मैं ।
    
_Aashif #NojotoQuote #हादसा......
राब्ता उम्मीदों से रख के आगे बढता रहा हूँ मैं...
ना पूछ जिंदगी के हादसों से कैसे लङता रहा हूँ मैं ।

बाद एक जमाने के अब मुफलिसी में भी मुस्कुरा देता हूँ 
ना पूछ कि मुद्दतों अंदर ही अंदर कैसे तङपता रहा हूँ मैं ।

कर्ज बनकर कभी फर्ज बनकर जिंदगी हिस्सों में बंट गयी...
ना पूछ अश्क बनकर हर मोङ पर कैसे बिखरता रहा हूँ मैं ।


हौसला इतना भी नहीं दो लब्ज अपने जुंबा तक ला सकूं
ना पूछ वो फसाने अपनी ही जिंदगी के कैसे पढता रहा हूँ मैं ।

मेरे पांव के चंद जख्मों के लिए अब दवा ढूंढता है तू।
ना पूछ दर्द अपना ही देख देखकर कैसे सिकुड़ता रहा हूँ में ।
ना पूछ जिंदगी के हादसों से कैसे लङता रहा हूँ मैं ।
    
_Aashif #NojotoQuote #हादसा......
aasifkhan5431

Aasif Khan

New Creator