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एक बार एक व्यक्ति संतुष्टि पाने की लालसा मे अपनी म

एक बार एक व्यक्ति संतुष्टि पाने की लालसा मे अपनी मंजिल की ओर चला जा रहा था.रास्ते मे उसे संतुष्टि मिल गई.वह राहगीर उस संतुष्टि को पहचानता नहीं था इसलिए उसने जिज्ञासा वश पूछा 
"हे देवी!तुम कौन हो और अकेले कहां जा रही हो?"
तब संतुष्टि ने उस राहगीर के सवालों का जवाब देते हुए कहा.
"मानव मैं संतुष्टि हूं और मैं अकेले नहीं हूं.देखो तुम्हारे साथ तो चल रही हूं."
राहगीर ने संतुष्टि का मजाक बनाते हुए अविश्वास पूर्ण तरीके से 
कहा.
"साथ!कैसा साथ?तुम तो मुझे अभी दिखाई दे रही हो.मै तो कब से अकेला ही सफर कर रहा हूं!"
राहगीर की बात सुनकर संतुष्टि ने मुस्कुराते हुए कहा.
"यही तो बात है,मुसाफिर..जीवन के सफर मे मै हमेशा हर किसी के साथ चलती रहती हूं.जो संतुष्ट रहते हैं उन्हें दिखाई दे जाती हूं और जो संतुष्ट नही रहते हैं उन्हें मै दिखलाई नही देती हूं." 
इतना कहकर संतुष्टि वहां से अदृश्य हो जाती है.राहगीर को संतुष्टि की बात समझ मे आ चुकी थी.

"अब आप बताएं कि,राहगीर अब क्या करेगा?"

©SUNIL KUMAR VERMA
  संतुष्टि की लालसा

संतुष्टि की लालसा #प्रेरक

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