Love at first sight मेरा पहला और अंतिम प्यार...— % & 1975,8March कॉलेज का teenager ...B.sc.. final year govt college Chandigarh, college में blood donation camp लगा किसी कारण वश miss हो गया, मैंने तब तक कभी भी तो ब्लड डोनेट नहीं किया था, ना ही मुझे कोई जानकारी या उत्साह था। अगले दिन अचानक ही PGI Chandigarh के blood bank जा पहुंचा। एक मिठास भरे वातावरण ने स्वागत किया, ज्ञानी जी जो वहां सबको रिफ्रेशमेंट देते थे,उन्होंने अपने अंदाज़ में थोड़ा ज्ञान दिया और मैं पहुंचा डोनेशन टेबल पर, दे.सुषमा बेदी ने prick दिया बाजू में जो सरसराहट हुई उसमें से आनंद की अनुभूति हुई...इस अनुभूति का आनंद ले ही रहा था कि एक व्यक्तित्व का आगमन हुआ। सफेद पैंट सफेद शर्ट और गोरे चिट्टे रंग वाला। This is yours ist donation... उनकी मुस्कान से कुछ शब्द बिखरे...जिन्हे समेट कर मैंने मुस्करा कर सिर हिलाया और उन्होंने मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए कहा...*यंग man I will like to see you again and again* और इस वाक्य में बोले गए Will shabd ने आठवीं क्लास के इंग्लिश टीचर की याद दिला दी जिन्होंने will शब्द का अर्थ समझते हुए बताया था की will कोई निश्चितता का परिचायक है। खैर ब्लड डोनेट करने के बाद refreshment लिया और बजाय घर जाने के सुखना लेक की तरफ कदम मुड़ गए। घंटाभर पैदल चल लेने के बाद पैर दुखने लगे थे। जूते उतार peir jheel ke paani में डाल अपनी थकान उतरने लगा मगर मन में तो एक विचित्र से अनुभव के आकर्षण से मोहाविष्ट सा था मैं। और मन तीन महीने पूरे होने की प्रतीक्षा में आनंदित होता रहा कब तीन महीने पूरे हों और मैं जाऊं blood donation के लिए। तीन महीने के बाद अधिक उत्साह और दो मित्रों को साथ लिए जब ब्लड डोनेशन के लिए पहुंचा तो मेरी मुलाकात हुई mrs swaroop krishenn ji se Jo Blood Bank Society की General secretary थी, उन्होंने मुझे डोनेशन के बाद थर्ड फ्लोर पर आ कर मिलने को कहा, जब मैं वहां पहुंचा तो dr.j g jolly से मेरा मिलना हुआ....और ये मुलाकात्नमेरे प्यार i mean blood donation ke लिए नवीन उत्साह ले कर आई और मुझे सच में लगने लगा की मुझे ब्लड डोनेशन से प्यार हो गया है। वर्ण कोई कैसे ब्लड डोनेट करने के बाद अगले तीन महीने की प्रतीक्षा करता है की जब वो क्षण आए और में ब्लड डोनेट करने जाऊं। मेरा प्यार परवान चढ़ रहा था, अब रक्तदान करने के लिए लोगों को मैं प्रेरित करता, जिन्हे जरूरत होती उनके लिए व्यवस्था करता और धीरे धीरे मेरा ये प्यार पागलपन की हद जा पहुंचा.... 35 वर्ष एक्टिव और 10 वर्ष नॉनेक्टिव अपने जीवन के मैंने इस प्यार को दिए तो ये इश्क हो गया...