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शीर्षक :- शब्दों के तीर 🏹 ।। कुछ बोलूँ मैं,

शीर्षक :- शब्दों के तीर  🏹

।।  कुछ  बोलूँ  मैं, उससे  पहले  शब्दों को तोलूँ मैं
रूठ ना जाए  कोई दिल, सोच पिटारा खोलूँ मैं ।।

।। जतन  करूँ  मैं ऐसा,  जिससे  भला हो सबका
सत्य वचन  कहूँ, राग, द्वेष शब्दों में ना सोचूँ मैं ।।

पूर्ण कविता अनुशीर्षक मेें पढ़िए!!  कुछ  बोलूँ  मैं, उससे  पहले  शब्दों  को तोलूँ मैं
रूठ ना जाए  कोई दिल, सोच  पिटारा खोलूँ मैं
जतन  करूँ  मैं ऐसा,  जिससे  भला हो सबका
सत्य वचन  कहूँ, राग, द्वेष शब्दों में ना सोचूँ मैं

किसी को रूठते  देखा, रिश्ते को मरते देखा यूँ
घायल हो जाता रोम-रोम, रूह को जलते देखा
बदला लेता कोई, कोई ग़म मेें डूब जाता है यूँही
शीर्षक :- शब्दों के तीर  🏹

।।  कुछ  बोलूँ  मैं, उससे  पहले  शब्दों को तोलूँ मैं
रूठ ना जाए  कोई दिल, सोच पिटारा खोलूँ मैं ।।

।। जतन  करूँ  मैं ऐसा,  जिससे  भला हो सबका
सत्य वचन  कहूँ, राग, द्वेष शब्दों में ना सोचूँ मैं ।।

पूर्ण कविता अनुशीर्षक मेें पढ़िए!!  कुछ  बोलूँ  मैं, उससे  पहले  शब्दों  को तोलूँ मैं
रूठ ना जाए  कोई दिल, सोच  पिटारा खोलूँ मैं
जतन  करूँ  मैं ऐसा,  जिससे  भला हो सबका
सत्य वचन  कहूँ, राग, द्वेष शब्दों में ना सोचूँ मैं

किसी को रूठते  देखा, रिश्ते को मरते देखा यूँ
घायल हो जाता रोम-रोम, रूह को जलते देखा
बदला लेता कोई, कोई ग़म मेें डूब जाता है यूँही
krishvj9297

Krish Vj

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