वोट की महिमा वो नहीं जानता । वो तो बस रोटी को पहचानता । फुटपाथ पर रहता । चिथड़े से तन ढकता। काफी दिन तो बस पानी पीके सोता। वो क्या जाने ये लोकतंत्र क्या होता। नेता, मतदाता , पार्टी को वो नहीं पहचानता । वोट की महिमा क्या होती है , वो नहीं जानता। वोट की महिमा