फुल ही तो थे कुछ हाथ मे रह गये कुछ तूट कर बिखर गये नाजूक लमहें थे बस्स फुल ही तो थे। किसीं के आँखो के टीमटीमाते ख्वाब थे धडकते दिलों का मूस्कुराता एहसास थे बस्स फुल ही तो थे। कभी घरो को महकाते कभी बगीया मे लहारते गुमनाम खामोशिसे कभी आसू भी बहाते थे बस्स फुल ही तो थे। बहकते मन से बौखलाये भवर से क्या तारीफ करे दिलसे सहमाये खिलखिलातेसे बस्स निहाल से, फुल ही तो थे। फुल ही तो थे कुछ हाथ मे रह गये कुछ तूट कर बिखर गये नाजूक लमहें थे बस्स फुल ही तो थे। किसीं के आँखो के टीमटीमाते ख्वाब थे