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#OpenPoetry तुम मुझे ऐसे लगते हो जैसे - झिलमिल-झिल

#OpenPoetry तुम मुझे ऐसे लगते हो जैसे -
झिलमिल-झिलमिल  रात में,  टिमटिम टिमटिम तारा l
भीगी -भीगी बरसात में, जुगनू का जगमगाना ll
पूर्णिमा को चाँद के उजियारे कि,  बहती हो रसधारा l
धीमी-धीमी पवन में,पीपल के पत्तों का तुन -तुन एकतारा ll
कैसे बतलाऊँ तुझको तू मुझे, पानी से भी ज्यादा है प्यारा.... 
am your chintu i am paglu
#OpenPoetry तुम मुझे ऐसे लगते हो जैसे -
झिलमिल-झिलमिल  रात में,  टिमटिम टिमटिम तारा l
भीगी -भीगी बरसात में, जुगनू का जगमगाना ll
पूर्णिमा को चाँद के उजियारे कि,  बहती हो रसधारा l
धीमी-धीमी पवन में,पीपल के पत्तों का तुन -तुन एकतारा ll
कैसे बतलाऊँ तुझको तू मुझे, पानी से भी ज्यादा है प्यारा.... 
am your chintu i am paglu