पिता पिता!शिकवा रखा न मलाल रखा तूने हरदम ही ऊँचा ख़याल रखा वसीयत में दे दी नेक नसीहत और सब्र का मोती पाल रखा # पिता!तुम सब्र-ओ- क़रार की मीनार हो