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नादिम करने की तसव्वुर कभी की ही नही, और अनजाने मे

नादिम करने की तसव्वुर कभी की ही नही,
और अनजाने मे गुस्ताखी हो गई हमसे,
माना लाख अस्क़ाम है हममें पर मिरे नफ़्स हैं वो!
ये इत्तिहाम ना सहा जाएगा हमसे,
मिरी फ़ुगां को नजरंदाज करके अज़ाब बढ़ा रहे,
इस्बात तो बहुत दे दिए उन्हें पर अरमान है,
सांसों की डोर अब छूट ही जाए हमसे......
और मुहब्बत की इख्लास का इस्बात हो जाए।
 अज़ाब= पीड़ा
अरमान= इच्छा
अस्क़ाम= बुराइयां,कमियां
इत्तिहाम= दोष, दोषारोपण
इस्बात= प्रमाण, साक्ष्य, सबूत
तसव्वुर= कल्पना,विचार
नादिम= शर्मिंदा
नफ़्स= आत्मा,प्राण
नादिम करने की तसव्वुर कभी की ही नही,
और अनजाने मे गुस्ताखी हो गई हमसे,
माना लाख अस्क़ाम है हममें पर मिरे नफ़्स हैं वो!
ये इत्तिहाम ना सहा जाएगा हमसे,
मिरी फ़ुगां को नजरंदाज करके अज़ाब बढ़ा रहे,
इस्बात तो बहुत दे दिए उन्हें पर अरमान है,
सांसों की डोर अब छूट ही जाए हमसे......
और मुहब्बत की इख्लास का इस्बात हो जाए।
 अज़ाब= पीड़ा
अरमान= इच्छा
अस्क़ाम= बुराइयां,कमियां
इत्तिहाम= दोष, दोषारोपण
इस्बात= प्रमाण, साक्ष्य, सबूत
तसव्वुर= कल्पना,विचार
नादिम= शर्मिंदा
नफ़्स= आत्मा,प्राण
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