Acrostic Poem " असाधारण नारियां " अतुलनीय स्नेह से परिपूर्ण है नारी , सादगी,त्याग और सहनशीलता की मूरत है नारी ! धारा-सी रिश्तों को एकसाथ बांधे हुए बहती है नारी , रब के समान नवजीवन की जननी है वो नारी ! णमोकार और गायत्री मन्त्रों-सी पावनता लिए कभी तो नाश करती है दुष्टों का वो माँ दुर्गा बनकर कभी ! रिश्तों को एक माला में पिरोए रखती है नारी , या फिर ये कहें कि हर नारी में छिपी है एक असाधारण नारी ! – सोनल पंवार ©Sonal Panwar असाधारण नारियां # Acrostic poem