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मुझको क्यों तुम अब बुरा और भला कह रहे हो, मैंने क्

मुझको क्यों तुम अब बुरा और भला कह रहे हो,
मैंने क्या ले लिया तुम्हारा जो तुम खफा हो रहे हो,
हरदम पुकारा था हमने तुमको बड़े ही सम्मान से,
पहले ही सोंच लेते अब क्यों अवसाद कर रहे हो,
खोकर सम्मान अब तुम क्यों पश्चाताप कर रहे हो ।।1।।

हृदय में बसाया तुमको एक सच्चा मीत मानकर,
भरोसा जताया था मैंने तुम्हें दृढ़ संकल्पित मानकर,
तोड़कर संकल्प तुम्हीं सबसे बड़े दगाबाज निकले,
मैं तुम्हें समझ गया हूं अब तुम्हारी सारी तथा जानकर,
तब से हो गया हूं मैं सतर्क यह सब व्यथा जानकर ।।2।।

सुनो सभी की किन्तु भरोसा किसी पर मत जताया करो,
यह कलियुग है घाव अपना किसी को मत दिखाया करो,
अपने हाथों में लिए फिरते हैं लोग यहां नमक की थैलियां,
छिड़क ना दें तुम्हारे घाव पर कहीं वो लोग यह नमक,
इसलिए उन लोगों से अपने घाव को तुम बचाया करो ।।3।

मुझे पता  ही ना चला तुम्हारी मानवता कहां गई,
तुम्हारे अंदर थी जो शील की भावना वो कहां गई,
क्यों खो दिए निकेतन से हृदय के तुमने हीरे अपने,
बड़े कीमती थे वो हीरे आभूषण रूपी गुण तुम्हारे,
यदि रखते हो सारे गुण तो फिर सभ्यता कहां गई ।।4।। 
             - आदित्य यादव उर्फ़
            'कुमार आदित्य यदुवंशी'

©Aditya Yadav विश्वासघात।
मुझको क्यों तुम अब बुरा और भला कह रहे हो,
मैंने क्या ले लिया तुम्हारा जो तुम खफा हो रहे हो,
हरदम पुकारा था हमने तुमको बड़े ही सम्मान से,
पहले ही सोंच लेते अब क्यों अवसाद कर रहे हो,
खोकर सम्मान अब तुम क्यों पश्चाताप कर रहे हो ।।1।।

हृदय में बसाया तुमको एक सच्चा मीत मानकर,
भरोसा जताया था मैंने तुम्हें दृढ़ संकल्पित मानकर,
तोड़कर संकल्प तुम्हीं सबसे बड़े दगाबाज निकले,
मैं तुम्हें समझ गया हूं अब तुम्हारी सारी तथा जानकर,
तब से हो गया हूं मैं सतर्क यह सब व्यथा जानकर ।।2।।

सुनो सभी की किन्तु भरोसा किसी पर मत जताया करो,
यह कलियुग है घाव अपना किसी को मत दिखाया करो,
अपने हाथों में लिए फिरते हैं लोग यहां नमक की थैलियां,
छिड़क ना दें तुम्हारे घाव पर कहीं वो लोग यह नमक,
इसलिए उन लोगों से अपने घाव को तुम बचाया करो ।।3।

मुझे पता  ही ना चला तुम्हारी मानवता कहां गई,
तुम्हारे अंदर थी जो शील की भावना वो कहां गई,
क्यों खो दिए निकेतन से हृदय के तुमने हीरे अपने,
बड़े कीमती थे वो हीरे आभूषण रूपी गुण तुम्हारे,
यदि रखते हो सारे गुण तो फिर सभ्यता कहां गई ।।4।। 
             - आदित्य यादव उर्फ़
            'कुमार आदित्य यदुवंशी'

©Aditya Yadav विश्वासघात।
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Aditya Yadav

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