असत्य भी बोलना परता है, सत्य बी छुपना परता है, ज़िन्देगी ज़िने के लीये हर रस्ता अपना परता है, शरिफ लोगो को जीने कहाँ देते है ये धुनिया इसलिए कभी कभी बूरा भी बान जना परता है, ये धुनिया है साहब यहा दर्द छिपाकर भी मुस्कराना परता है। #असत्य #सत्य #ज़िन्देगी #रस्ता #शरिफ #धुनिया #बूरा #दर्द #मुस्कराना #प्रेम