टूटने और बिखरने का चलन मांग लिया ,,हमने हालात से शीशे का वतन मांग लिया ।। अपने कालर में जो फूल था ,,उसके बदले ,, हमसे इक श्कश में खुआबो का चमन मांग लिया ।। जब सुना आयेंगे कुछ लोग नसीयत करने ,,एक दूजे से वहीं हमने बचान मांग लिया ।। वो मुसलमान थी अल्लाह से शरमाती रही ,, और भगवान से गोरी ने सजन मांग लिया ।। जोर था शेख और ब्राह्मण का हर एक बस्ती में ,,हमने रहने को अलग शहर ए सुखन मांग लिया।। हम भी मोजूद थे तकदीर के दरवाजे पर ,,लोग दौलत पे गिर ,,हमने वतन मांग लिया ।। जिसकी तहरीर में हमे होना था दफन , कतील,,उसने वापस वही कागज का कफन मांग लिया। वो मुसलमान थी ,, शरमाती रही ,,और भगवान से गोरी ने सजन मांग लिया ।। (कतील शफाई) ©Dr. of thuganomics #सजन मांग लिया ।।