मनकबत हज़रत हाजी अमानुल्लाह शाह उर्श पाक 8/3/2020 हजूरी दरगाह हो करम की इक नज़र हाजी अमानुल्लाह शाह ज़िन्दगी जाए संवर हाजी अमानुल्लाह शाह आऊं में दर पर अगर हाजी अमानुल्लाह शाह छोड़ कर जाऊं ना दर हाजी अमानुल्लाह शाह तेरे दर पे रहमतों की हर घड़ी बरसात है कितना प्यारा है नगर हाजी अमानुल्लाह शाह फस गई है मेरी कश्ती मौजे तूफ़ान में हुज़ूर आऊ लेने को खबर हाजी अमानुल्लाह शाह रंजो गम का नाम कैसे लब पे होगा दोस्तो लब पे है शामों सहर हाजी अमानुल्लाह शाह मुस तुफा की अाल का देता हूं तुम को वास्ता फ़ैज़ रखना ता उमर हाजी अमानुल्लाह शाह दिल की दुनिया ही बदल जाए गी तुम जो दाल दो इक नज़र इस्हाक पर हाजी अमानुल्लाह शाह मोहम्मद इस्हाक रिज़्वी नजम