मैं जब रोता हूँ तेरे आँसू बेकार लगते हैं... अब तो मेरे सायॆ भी मुझको दीवार लगते हैं..। अब ऎसी दुनिया में मेरा आना जाना आम हैं... जहाँ रिश्ते खरीदने रोज बाज़ार लगते हैं..। इन रिश्तों को बदलते हुए कितनी देर लगती है ... मेरे जो दुशमन हैं सभी पुराने यार लगते हैं..। मैं जंग तो हारा हूँ फिर भी मैदान में डटा हूँ... हौसला देखो मेरा हैरान हथियार लगते हैं..। मैं हमेशा ही ख़बरो से जुड़ा रहना चाहता हूँ... आ पढ़ लू तेरी ये आँखे जो अख़बार लगते हैं..। बेकार