सामने तू, पीछे मैं और बीच दोनों के, स्वरलहरियां ध्वनियों की, करटेन-सा लहराकर मोड़ती अपना रूख उधर, वही शहर, वो पुराना सिनमा हॉल शहर का 'मित्रो टॉकीज!' सामने, जीने से चढ़कर 'संगीत सदन' के रेलिंग पर 'गुरुजी' के सबक के इंतजार में खड़े हम और हमें तकते राहगीरों की बातें अफसानें, घंटों बेखबर हम! किस तरह, दरम्यान हमारे सिन्क्रो का वही लहर गपियाते-बतियाते मुंडेर पर कबूतर के उस जोड़े के 'गुंटर-गूं' में जैसे हो जाता विलीन...हाँ, यूं हुआ तल्लीन। tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar