यादों के गलियारों से, किस्से तमाम लाया हूँ, भूली बिसरी यादों का, पुलिंदा खोल लाया हूँ, बाँट सको तो बाँट लो अपने हिस्से की, मैं खुशियों की वो सौगात लाया हूँ, यादों के गलियारे से, किस्से तमाम लाया हूँ, तेरी भी यादें लाया हूँ, उनकी भी साथ लाया हूँ, कमी रह गई थी जो कभी हमसे, मैं उन कमियों का हिसाब लाया हूँ, यादों के गलियारे से, किस्से तमाम लाया हूँ, कुछ बचपन साथ लाया हूँ, कुछ छुटपन साथ लाया हूँ, भीग जाएं सभी फिर से यादों में पुरानी, मैं आज वो बारिश साथ लाया हूँ, यादों के गलियारे से, किस्से तमाम लाया हूँ....................... लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #यादों के गलियारों से, किस्से तमाम लाया हूँ, भूली बिसरी यादों का, पुलिंदा खोल लाया हूँ, बाँट सको तो बाँट लो अपने हिस्से की, मैं खुशियों की वो सौगात लाया हूँ, यादों के गलियारे से, किस्से तमाम लाया हूँ,