#सोचता हूं शब्दों से ना सही एहसासों से जज़्बात बहने दो रहो बेशक करीब पर आबाद रहने दो, रिश्तों की आजमाइश ना करो जानिब से गर चलना है दूर तक तो आजाद रहने दो - कवि अनिल #kavianilkumar