क्या ढूँढ रहे हो तुम क्या ढूँढने निकले थे मन की शांति मिली तुम्हें या मन को ही खोज रहे पा लिया अपनों को तुमने या खुद को ही तुम खो चले ग़ैरों को अपना बनाना था या अपनों को ग़ैर बना चले सोच को अपनी विस्तृत किया या वही संकुचित भाव ओढ़ चले अभी वही मेरा तुम्हार उसका या हम को तुम स्वीकार चले अभी वही तुम्हारी मद्धम नज़र या दूरदृष्टा अब तुम बन चले अभी वही धन-संपदा अर्जन या त्याग का महत्व जान चुके हो वही पुरानी राह पर अभी या नयी राह पर तुम बढ़ चले वही पुरानी खोज है अभी तक या खोज को अपनी खोज चुके सोचो जरा क्या ढ़ूँढ़ रहे हो तुम पूछो जरा क्या ढूँढ़ने निकले थे ! मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈🌈 🌈 कुछ न कुछ तो ढूँढ रहे हो आख़िर क्या ढूँढ रहे हो! #ढूँढनेनिकले #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi